हमें अपने संविधान पर गर्व, पड़ोसियों को देखो : सुप्रीम कोर्ट

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नई दिल्ली (मध्य स्वर्णिम): सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमें अपने संविधान पर गर्व होना चाहिए। कोर्ट ने पड़ोसी देशों में हो रही घटनाओं पर चिंता जताई। कोर्ट ने नेपाल और बांग्लादेश में हुई राजनीतिक उथल-पुथल का उदाहरण दिया। कोर्ट ने कहा कि इन देशों में जो हो रहा है, उससे पता चलता है कि संविधान कितना जरूरी है। दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी राष्ट्रपति के संदर्भ के मामले की सुनवाई के दौरान की, जिसमें यह पूछा गया था कि क्या अदालतें राज्यपालों और राष्ट्रपति के लिए राज्य विधानसभाओं की ओर से पारित विधेयकों पर कार्रवाई करने की समय सीमा तय कर सकती हैं। इस सुनवाई के दौरान, सीजेआई बी.आर. गवई की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ ने नेपाल की गंभीर स्थिति पर टिप्पणी की। कोर्ट ने नेपाल में सरकार विरोधी प्रदर्शनों का जिक्र किया। इन प्रदर्शनों के कारण प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली को मंगलवार को इस्तीफा देना पड़ा। कोर्ट ने बांग्लादेश में पिछले साल हुए छात्र नेतृत्व वाले आंदोलन का भी उल्लेख किया। इस आंदोलन ने शेख हसीना के नेतृत्व वाली सरकार को गिरा दिया था। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया बी. आर. गवई ने कहा, हमें अपने संविधान पर गर्व है, देखिए पड़ोसी देशों में क्या हो रहा है। सुनवाई के दौरान, सीजेआई बी. आर. गवई की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ ने नेपाल की गंभीर स्थिति पर टिप्पणी की। केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने तब 1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के समय में लगे आपातकाल का जिक्र किया। मेहता ने कहा, जब इंदिरा गांधी ने आपातकाल लगाया, तो लोगों ने ऐसा सबक सिखाया कि न केवल पार्टी हार गई, बल्कि वे खुद भी अपनी सीट हार गई। एक और सरकार आई जो लोगों को संभाल नहीं पाई, इसलिए वही लोग उन्हें वापस ले आए।