भोपाल: राजधानी भोपाल की जीवनरेखा माने जाने वाले बड़े तालाब की सीमाएं तय करने के लिए बुधवार से प्रशासन ने एक बार फिर सीमांकन (नप्ती) का काम शुरू कर दिया है। वर्षों से विवादों में घिरे इस विशाल जलाशय के किनारे कथित रूप से हुए अवैध निर्माणों की जांच अब निर्णायक मोड़ पर पहुंचती दिख रही है। सीमांकन का उद्देश्य यह पता लगाना कि झील की अधिसूचित सीमा के भीतर कितने मैरिज गार्डन, फैक्ट्री, कॉलेज, स्कूल, फॉर्म हाउस या मकान बने हैं, और उनमें से कितने निर्माण झील की जद में आते हैं।
बैरागढ़ की ओर से शुरू हुआ सर्वे:
बुधवार को बैरागढ़ की तरफ से सर्वे कार्य की शुरुआत की गई। टीम ने सीमांकन का कार्य वहीं से शुरू किया जहां खानूगांव में पिछले दिनों यह काम खत्म किया गया था। फिलहाल सर्वे कार्य भैंसाखेड़ी तक किया जाएगा। जिला प्रशासन, नगर निगम, टाउन एंड कंट्री प्लानिंग (टीएंडसीपी) और वन विभाग की संयुक्त टीम इस अभियान में शामिल है। तीन विभागों के 30 अधिकारियों व कर्मचारियों की एक बड़ी टीम इसमें लगी हुई है।
दलदली क्षेत्र बना बाधा, फिलहाल रोक:
सीमांकन कार्य के पहले दिन टीम को दलदली इलाके से होकर गुजरना पड़ा, जिससे कुछ दूरी के बाद सर्वे रोकना पड़ा। इस संबंध में नायब तहसीलदार दिनकर चतुर्वेदी ने बताया कि आज सीमांकन का कार्य शुरू किया गया था, लेकिन दलदली क्षेत्र आ जाने के कारण कुछ दूर तक ही सर्वे किया जा सका। आज इस पर विचार किया जाएगा, उसके बाद कल से फिर से सीमांकन शुरू होगा। सीमांकन के लिए बुधवार को 15 पटवारी, तहसीलदार, नायब तहसीलदार और राजस्व निरीक्षक मौके पर मौजूद रहे। अधिकारियों का कहना है कि सीमांकन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही यह पता चल पाएगा कि झील क्षेत्र में किसके द्वारा और कितने निर्माण किए गए हैं।