भोपाल: मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि प्रदेश सरकार का उद्देश्य युवाओं को आत्मनिर्भर बनाना और उद्यमिता को प्रोत्साहित करना है। वर्ष 2025 को उद्योग और रोजगार वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि एमएसएमई भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं और छोटे उद्योग करोड़ों परिवारों का रोजगार और आत्मनिर्भरता सुनिश्चित करते हैं। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर दीपावली से पहले नए भारत के निर्माण का प्रतीक बताया और सम्मेलन को विश्वास एवं स्वाभिमान का उत्सव बताया। मुख्यमंत्री डॉ. यादव एक निजी होटल में आयोजित सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमियों के सम्मेलन में उपस्थित थे। इस दौरान उन्होंने 700 एमएसएमई इकाइयों को 197 करोड़ रुपये से अधिक की प्रोत्साहन राशि वितरित की। इसके अतिरिक्त, 63 स्टार्टअप्स को ईआईआर सहायता योजना के तहत 1 करोड़ रुपये से अधिक की सहायता राशि प्रदान की गई। 237 उद्यमियों को भू-आवंटन पत्र दिए गए, जिससे उन्हें उद्योग स्थापना में सुविधा मिलेगी। साथ ही, उद्यम क्रांति योजना के तहत 5084 युवाओं को 347 करोड़ रुपये से अधिक की बैंक ऋण सहायता वितरित की गई। मुख्यमंत्री ने उद्यमियों से संवाद करते हुए कहा कि अब युवा रोजगार मांगने वाले नहीं, बल्कि रोजगार देने वाले बन रहे हैं। उन्होंने एमएसएमई सेक्टर में महिलाओं की भागीदारी पर गर्व व्यक्त किया और कहा कि प्रदेश में 47 प्रतिशत स्टार्टअप्स महिला उद्यमियों के नेतृत्व में हैं। उन्होंने बताया कि वर्तमान में मध्यप्रदेश में 4 लाख से अधिक विनिर्माण इकाइयाँ एमएसएमई के रूप में पंजीकृत हैं और 102 इंक्यूबेशन सेंटर युवाओं को अपने आइडिया को साकार करने का अवसर दे रहे हैं।
बन रहे 19 नए औद्योगिक क्षेत्र:
मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि प्रदेश में 800 से अधिक भू- खण्ड उद्योगों को उपलब्ध कराए जा चुके हैं। 19 नए औद्योगिक क्षेत्र बनाए जा रहे हैं और 10 नए क्षेत्रों के विकास का प्रस्ताव तैयार है। मुख्यमंत्री उद्यम क्रांति योजना के तहत 50 लाख रुपये तक का लोन बिना गारंटी उपलब्ध करवा रहे हैं। डिजिटल रिटर्न और जीएसटी की सुविधाओं से उद्योगों को नई पहचान मिली है। उन्होंने ‘वोकल फॉर लोकल’ के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि स्वदेशी उत्पादन और छोटे उद्योग भारत को आत्मनिर्भर बनाने में प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं।