आओ फिर से दिया जलाएं

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शुभ प्रसंग मध्य स्वर्णिम: सुनील दत्त तिवारी (मो. 9713289999)
आज शरद पूर्णिमा है, आरोग्य की कामना के साथ खीर खाने का सनातनी रिवाज है। ऐसे शुभ दिन पर मध्य स्वर्णिम के तीन संस्करणों का लोकार्पण भी हम जैसे पत्रकारिता के प्रशिक्षु के लिए अमृतकाल का खीर खाने के जैसा ही है। नब्बे के दशक के उत्तरार्ध में दोपहर का सामना के साथ राष्ट्रवाद की जयघोष की मंगलकामना कब व्यवहार में शामिल हुई, पता ही नहीं चला। सर्वे भद्राणि पश्यंतु को खबर का आधार बनाकर तीन दशक से ज्यादा का समय बीत गया रीत गया तो नहीं कहूंगा, जो भी कुछ मिला संतोष करने लायक है। हां, परिवर्तन के लंबे दौर से पत्रकारिता गुजरी है। हर दौर में जाति की जिजीविषा से छटपटाते लोग मिले हैं। भारत रत्न और भारतीय राजनीती के अजातशत्रु मेरे चहेते राजनेता पूर्व प्रधानमंत्री आदरणीय अटल जी के शब्दों में-
“आहुति बाकी, यज्ञ अधूरा, अपनों के विघ्नों ने घेरा, अंतिम जय का वज्र बनाने, नव दधीचि हड्डियां गलाएं।”
आओ फिर से दिया जलाएं। 2014 के बाद राष्ट्र निर्माण के इस यज्ञ में बहुत सी आहुतियां दी जा रही हैं। विश्वपटल पर भारत की स्वीकार्यता को रेखांकित किया जा रहा है। देश बदल भी रहा है और बदलाव दिखाई भी दे रहा है। धारा 370 को समाप्त किया जाना हो, तीन तलाक से मुक्ति हो. भारतीय न्याय संहिता के माध्यम से गुलामी के प्रतीकों को ढहाए जाने का अश्वमेघ यज्ञ किया गया हो, अंतरिक्ष में तिरंगे की एकाधिकार की पटकथा हो, सेना के शौर्य और पराक्रम का जयघोष हो देश ने करवट तो ली है। गठबंधन के बावजूद स्थाई सरकार ने आम नागरिकों का भरोसा जीता है। परिवर्तन के इस अध्याय में मध्य प्रदेश की चर्चा न करूं तो मेरे अपने प्रदेश के साथ न्याय नहीं होगा। राम जन्मभूमि आंदोलन के दौरान तत्कालीन सुंदरलाल पटवा जी की सरकार धारा 356 के दुरुपयोग के साथ गिरा दी गई। वह प्रदेश के लोकतंत्र का काला दिन था। मुझे लगता है उसके बाद ही प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी ने वटवृक्ष का स्वरूप ग्रहण किया। मध्य प्रदेश बीजेपी के लिए प्रयोगशाला बन गई जिसके हर प्रयोग को जनता की सहमति मिली । 2003 में पहली बार आजाद हिंदुस्तान में एक सन्यासी का राज्याभिषेक हुआ, वो भी मेरे मध्य प्रदेश में, तिरंगे के सम्मान में उमा भारती ने मुख्यमंत्री का पद छोड़ दिया। बीजेपी में संगठन सर्वोपरि हैं यह आभास स्व. बाबूलाल जी गौर ने कराया जब शिवराज जी के मंत्रिमंडल में बतौर पूर्व मुख्यमंत्री गौर साहब कैबिनेट मंत्री के रूप में शामिल हुए। शिवराज सिंह चौहान ने लाड़ली लक्ष्मी योजना लागू कर पूरे देश के लिए रोल मॉडल बना दिया। किसानों के लिए डीबीटी जैसी सोच भी मेरे ही प्रदेश की देन है। लक्ष्मी के बाद बहना लाड़ली हुई और रिकॉर्ड सीटों से बीजेपी ने 2023 में सरकार बनाई। सामूहिक नेतृत्व में दूसरी पीढ़ी को तैयार करने के उद्देश्य से 13 दिसंबर 2023 को देश के सर्वाधिक शिक्षित राजनेताओं में शुमार डॉ मोहन यादव ने प्रदेश की बागडोर संभाली प्रदेश में निवेश की बयार में समृद्धि की बहार आने लगी। स्वगौरव की चेतना से मध्यप्रदेश पुलकित हो उठा। सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की गूंज ने विश्व रिकॉर्ड की श्रृंखला बना दी। हर हाथ को रोजगार सरकार का विजन बन गया है और संस्कृति की अलख को शिखर तक पहुंचाने का संकल्प बन रहा है। ऐसे महत्वपूर्ण समय में दैनिक मध्य स्वर्णिम के तीन संस्करणों का लोकार्पण प्रदेश की बदलती तस्वीर की इबारत को लिखने में सहायक हो होगा। हम तो भविष्य स्वर्णिम की कामना करके बैठे हैं-
“जिन्दगी की राहों में मुस्कराते रहो हमेशा, उदास दिलों को हमदर्द तो मिलते हैं, हमसफर नहीं”