लोकार्पण नहीं विश्वास का आरोहण

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विशेष संपादकीय मध्य स्वर्णिम: राकेश व्यास (मो. 9977701999)
आज शरद पूर्णिमा है, जिसे हम आश्विन मास की पूर्णिमा को कहते हैं। सनातनी ज्योतिष के अनुसार, पूरे वर्ष में केवल इसी दिन चन्द्रमाँ सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है। पुराणों के अनुसार इसी दिन योगीश्वर श्रीकृष्ण ने महारास भी रचाया था। ऐसे शुभ दिन पर शुभ संकल्पों के साथ दैनिक मध्य स्वर्णिम के एक साथ तीन-तीन संस्करणों के लोकार्पण के समय मन आनंदित है। भारतीय पत्रकारिता के विश्वविद्यालय, कालजयी पत्रकार और मेरे मामाजी स्वर्गीय प्रभाष जी जोशी जहां कहीं भी होंगे उनका मस्तक गर्वित हो रहा होगा। आज से 13 वर्षों पूर्व उन्हीं की प्रेरणा और संकल्पों को से दैनिक मध्य स्वर्णिम के भोपाल संस्करण की शुरुआत हुई थी। यह भी सुयोग है कि स्वयं आध्यात्म के सोलह कलाओं से परिपूर्ण राष्ट्रहित का समग्र चिंतन करने वाले महामंडलेश्वर उत्तम स्वामी जी और 13 दिसंबर को प्रदेश के मुख्यमंत्री का दायित्व संभालकर विकास का विश्वास जगाते डॉ. मोहन यादव दैनिक मध्य स्वर्णिम के 13वें वर्ष में तीन नए संस्करणों का लोकार्पण कर रहे हैं। काल गणना के केंद्र महाकाल की उज्जयिनी से हमारा दूसरा संस्करण, लोकमाता देवी अहिल्या बाई के इंदौर से तीसरा और पुण्य सलिला मां नर्मदा के नर्मदापुरम से चौथे संस्करण का प्रकाशन निश्चित रूप से पूर्वजों के पुण्य का ही प्रतिफल मानता हूं। इन 13 वर्षों के राष्ट्र सृजन की पत्रकारिता के पथ पर हमेशा सकारात्मक प्रयास पर ही जोर रहा है। आज जब इस यज्ञ में तीन और आहुतियां डल रही हैं तो मन में एक संतोष है कि दैनिक मध्य स्वर्णिम ने अपने पाठकों को निराश नहीं किया होगा। भौतिकतावादी इस दौर में जब अप्रास को हासिल करने की होड़ लगी है, तब पत्रकारिता का भी क्षरण हुआ ही है। इस पेशे पर आरोप भी लगे हैं और विश्सनीयता भी कम हुई है ऐसा स्वीकार करने में कोई परहेज नहीं है। लेकिन, तब भी दैनिक मध्य स्वर्णिम ने नैतिकता को ताक पर रखकर भौतिकता की अंधी दौड़ में शामिल होने से दूरी बनाकर ही रखी है। यह रास्ता उतना आसान है भी नहीं, परेशानियां भी आई और समस्या भी मुंह खोले खड़ी थी। किंतु परिवार, सहयोगियों और शुभचिंतकों ने हमेशा आत्मबल को मजबूत किया। आज दैनिक मध्य स्वर्णिम के चार संस्करणों के साथ हमारी सामाजिक प्रतिबद्धता और भी मजबूत हो रही है। सबकी खबर सच्ची खबर के मूल मंत्र को आगे बढ़ाते हुए अपनी जिम्मेदारियों का एहसास भी हो रहा है। आज लोकार्पण केवल संस्करणों का नहीं हो रहा है, संस्कारों का आरोहण भी है। कॉपी, पेस्ट, फॉरवर्ड के इस दौर की पत्रकारिता में पाठकों तक सूचना वही पहुंचे जो यथार्थ हो, इस दौर की बड़ी चिंता है। हम सबकी आवाज बनेंगे यह दावा न पहले किया था न आगे करेंगे। हां वंचित, शोषित के अधिकारों का प्रश्रय देने की अभिलाषा पहले थी, आज भी है। 2028 में उज्जयिनी, सिंहस्थ के भव्य, दिव्य, नव्य स्वरुप की साक्षी बनेगी। सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की अलख जगाने वाले मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव जो खुद भी उज्जैन का प्रतिनिधित्व करते हैं, उनके विजन को जनता तक पहुंचाने का हर संभव प्रयास होगा। सकारात्मक परिवर्तन के दौर से गुजर रहे देश और प्रदेश के नागरिकों को सूचना का संप्रेषण सत्य पर आधारित हो न की कथ्य पर इसका प्रयास पूरी टीम करेगी। अंत में आप सभी को इतना ही भरोसा दिलाना चाहता हूं की इस दौर का मध्य स्वर्णिम तो है ही भविष्य भी स्वर्णिम होगा। क्योंकि-

“सब अच्छा होगा खुद पर विश्वास रखो, गहरा हो समन्दर कितना भी सीप की मोती की आस रखो”