बैतूल: मध्य प्रदेश में जहरीले कफ सिरप से बच्चों की मौत का आंकड़ा 16 तक पहुंच चुका है। छिंदवाड़ा जिले में 14 बच्चों की मौत के बाद अब बैतूल जिले के आमला ब्लॉक में दो मासूम बच्चों की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत से हड़कंप मच गया। प्रारंभिक जांच में इन बच्चों की मौत का कारण भी किडनी फेल होना बताया जा रहा है। दोनों बच्चों का इलाज छिंदवाड़ा जिले के परासिया में ही डॉ. प्रवीण सोनी के पास हुआ था। परासिया में बच्चों की मौत के मामले में डॉ. सोनी को गिरफ्तार किया जा चुका है। बैतूल जिले में पहला मामला निहाल (2 वर्ष) पुत्र निखिलेश धुर्वे, निवासी जामुन बिछुआ का है। तबीयत बिगड़ने पर बच्चे को बैतूल और फिर एम्स भोपाल रेफर किया गया, जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। दूसरा मामला कबीर (3 वर्ष 11 माह) पुत्र कैलाश यादव, निवासी राम नगर ढाना कलमेश्वरा का है। उसने भी इसी डॉक्टर से इलाज कराया था और 8 सितंबर को उसकी मौत हो गई। दोनों बच्चों के इलाज का समय अलग-अलग था, पर डॉक्टर एक ही निकला। परिजनों ने शक जताया है कि कफ सिरप के सेवन के बाद बच्चों की हालत बिगड़ी थी। फिलहाल इस बात की पुष्टि नहीं हुई है कि दवा प्रतिबंधित थी या नहीं। दोनों मामलों में पोस्टमॉर्टम नहीं होने के कारण वास्तविक कारण की पुष्टि जांच रिपोर्ट के बाद ही हो सकेगी। सीएमएचओ डॉ. मनोज हुरमाड़े ने बताया कि आमला विकासखंड के जामुन बिछुआ और कमलेश्वरा गांव में दो बच्चों की मृत्यु हुई है। दोनों का इलाज परासिया के डॉ. प्रवीण सोनी से कराया गया था।
दवा असली या नकली ये देखना सरकार का काम:डॉ प्रवीण सोनी
छिंदवाड़ा में खांसी के सिरप से कई बच्चों की जान चली गई। इस मामले में पुलिस ने देर रात डॉ प्रवीण सोनी को गिरफ्तार कर लिया। डॉक्टर पर आरोप है कि इन्होंने जो दवा लिखी है उसी से अधिकांश बच्चों की जान गई है। यहां सवाल ये भी उठ रहा है कि डॉक्टर दवाएं लिखता है तो उसे पता नहीं होता है कि ये असली है या नकली। नकली दवाओं का नकेल कसना सरकार का काम है। यही बात डॉ सोनी ने गिरफ्तारी के दौरान गुस्से में कही, उन्होंने कहा कि डॉक्टर का काम दवा लिखना है। दवा असली है या नकली, यह देखना सरकार का काम है। उनका यह बयान विवाद को और हवा दे रहा है। इस घटना ने स्वास्थ्य सेवाओं और दवा वितरण प्रणाली में खामियों को उजागर किया है। स्थानीय प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग ने मामले की गहन जांच शुरू कर दी है, और जनता में दवाइयों की गुणवत्ता को लेकर चिंता बढ़ रही है। जांच के नतीजे और दोषियों पर कार्रवाई का इंतजार किया जा रहा है।
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