वन्य जीव, जंगल और पर्यावरण की रोशनी :डॉ. मोहन यादव

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भोपाल (मध्य स्वर्णिम): मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि वन्य जीव हमारी प्राकृतिक पूंजी हैं, जो जंगल और पर्यावरण की रोशनी हैं। मानव और वन्य जीवों का सहअस्तित्व ही वन्यजीव सप्ताह प्रकृति के संतुलन का वास्तविक प्रतीक है। हम ‘जियो और जीने दो’ की भावना के साथ सबके जीवन विकास के लिए प्रतिबद्ध हैं। वन्य जीवों के संरक्षण के प्रयास निरंतर जारी रहेंगे। वन्य जीव हमारे लौकिक जगत की अलौकिक धरोहर हैं। ये केवल साधारण जीव नहीं हैं। वे प्रकृति की अद्वितीय रचनाएं हैं, जिनमें एक अद्भुत सौंदर्य, रहस्य और सामंजस्य ६ छिपा है। उनका अस्तित्व मानव सभ्यता और प्रकृति के बीच गहरे संतुलन की जीवित विरासत है। वन्य जीवों की उपयोगिता, सुंदरता और पर्यावरणीय महत्व हमारी साधारण समझ से कहीं अधिक गहरे और दिव्य हैं। ये न केवल हमारे पर्यावरणीय संतुलन को बनाए रखते हैं, बल्कि हमें आध्यात्मिक आनंद, सौंदर्यबोध और जीवन की विविधता का अनुभव भी कराते हैं। इसलिए उनका संरक्षण केवल पारिस्थितिक आवश्यकता नहीं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक जिम्मेदारी भी है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव बुधवार को वन विहार राष्ट्रीय उद्यान में राज्य स्तरीय वन्य जीव सप्ताह-2025 का शुभारंभ कर संबोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के पर्यटक वाहन सफारी और वन विहार के 40 से अधिक पर्यटक वाहन (ई-व्हीकल्स) का लोकार्पण किया। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने हर्ष व्यक्त करते हुए कहा कि मध्यप्रदेश वन और वन्य जीवों के मामले में देश में अव्वल है। प्रदेश में वनों की विविधता को बढ़ाने और पर्यटन को प्रोत्साहन देने में वन्य जीव अहम भूमिका निभा रहे हैं। उन्होंने कहा कि वन्य जीव पर्यटन, मध्यप्रदेश को पर्यटकों के लिए आकर्षण का बड़ा केंद्र बनाता है। प्रदेश में बाघों की संख्या लगातार बढ़ रही है। उन्होंने कहा है कि राज्य सरकार वन्यजीवों के संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध है।

आदर्श उदाहरण बन रही है भावांतर योजना:
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कार्यक्रम के बाद मीडिया प्रतिनिधियों से चर्चा में कहा कि प्रदेश सरकार किसान कल्याण के लिए हर स्तर पर कार्य कर रही है। राज्य के सोयाबीन उत्पादक किसानों को उपज का सही मूल्य दिलवाने के लिए पुनः भावांतर योजना लागू की गई, जिसके माध्यम से हमारा प्रयास है कि किसानों को सोयाबीन के न्यूनतम समर्थन मूल्य का पूरा लाभ मिले। केंद्र सरकार ने इस वर्ष सोयाबीन का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 5328 रुपए प्रति क्विंटल तय किया है, जो गत वर्ष के एमएसपी 4800 रुपए से 528 रुपए अधिक है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के सभी सोयाबीन उत्पादक किसान 3 अक्टूबर से भावांतर योजना में उपज बेचने के लिए अपना पंजीयन कराएं और 24 अक्टूबर से मंडियों में सोयाबीन बेचना प्रारंभ कर दें। यदि किसी किसान को एमएसपी से कम राशि में फसल बेचनी पड़े तो भी घबराएं नहीं, राज्य सरकार भावांतर की राशि सीधे किसानों के बैंक खातों में अंतरित करेगी।