भोपाल एम्स में 30 मिनट में स्टेंट से बंद किया दिल का छेद, नहीं लगाना पड़ा बड़ा चीरा

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भोपाल: राजधानी भोपाल स्थित एम्स ने कार्डियक साइंसेज में एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है। यहां के डॉक्टरों ने एक 18 वर्षीय युवक के दिल में मौजूद छेद (एट्रियल सेप्टल डिफेक्ट-एएसडी) को मात्र 30 मिनट में स्टेंट की मदद से बंद कर दिया। इस प्रक्रिया में ना तो हड्डी काटी गई और ना ही बड़ा चीरा लगाया गया। एम्स ने इस जटिल प्रक्रिया को सफलतापूर्वक अंजाम देकर मध्य भारत में अपनी विशेषज्ञता का प्रदर्शन किया है। अब प्रदेश और आसपास के राज्यों के मरीजों को इस तरह के इलाज के लिए दिल्ली या विदेश नहीं जाना पड़ेगा। कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. भूषण शाह और कार्डियो थोरेसिक विभाग के एचओडी की टीम ने इस प्रक्रिया को सफलतापूर्वक अंजाम दिया।

6 घंटे का लगता था समय:
एम्स के चिकित्सकों ने बताया कि अब तक एएसडी (साइनस वेनोसस) मरीजों का इलाज ओपन हार्ट सर्जरी से किया जाता रहा है। इसमें लगभग 6 घंटे का समय लगता है। साथ ही दिल का छेद बंद करने के साथ नसों की पोजीशन बदलनी पड़ती है। यही वजह है कि सर्जरी की सफलता दर महज 50% तक सीमित रहती थी। जबकि इस नई तकनीक में सफलता दर 10% से अधिक है। मरीज को ज्यादा दर्द नहीं होता और रिकवरी भी बेहद तेज होती है। ऐसे चली इलाज की प्रक्रिया एम्स द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक 15 दिन पहले 18 साल का युवक तेज धड़कन और सांस फूलने की शिकायत के साथ एम्स भोपाल की ओपीडी में पहुंचा। डॉक्टर के चैंबर तक पहुंचने में ही उसकी सांस फूल गई थी। जांच के बाद पता चला कि दिल की ऊपरी दीवार पर छेद है और यही वजह से उसका खून गड़बड़ तरीके से फेफड़ों तक पहुंच रहा है। स्थिति गंभीर थी, इसलिए डॉक्टरों ने तुरंत भर्ती कर लिया। टीम ने जब केस पर विचार किया तो पाया कि मरीज लंबी ओपन हार्ट सर्जरी झेल ही नहीं पाएगा। ऐसे में कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. भूषण शाह और कार्डियो थोरेसिक विभाग के एचओडी की टीम ने करीब 4 घंटे की ब्रेन स्टॉर्मिग की और हाइब्रिड कवर स्टेंट का प्लान तैयार किया।