भोपाल (मध्य स्वर्णिम): मध्य प्रदेश में खाद पर खटपट की खबरें आए दिन किसी न किसी जिले से सामने आ रही हैं। कहीं किसानों की लंबी-लंबी लाइन लग रही है तो कहीं खाद न मिलने से नाराज किसान प्रदर्शन कर रहे हैं। ऐसे में सवाल यही उठ रहा है कि क्या प्रदेश में खाद की कमी हैं ? वर्तमान हालात को देखें तो इसका जवाब हां हो सकता है, लेकिन खाद की किल्लत के पीछे एक बड़ा कारण भी सामने आया है। दरअसल, मध्य प्रदेश में सोयाबीन का रकबा घट गया और मक्का का रकबा पांच लाख हेक्टेयर बढ़ गया है, जिससे प्रदेश में यूरिया की मांग बढ़ गई है। यही कारण है कि प्रदेश के किसानों को समय पर खाद नहीं मिल पा रहा है। सितंबर महीने में करीब साढ़े तीन लाख मीट्रिक टन खाद की कमी है। हालांकि, अधिकारियों का दावा है कि अगले 24 दिन में किसानों की मांग के अनुसार खाद उपलब्ध हो जाएगी। खाद की किल्लत के कारण प्रदेश के कई जिलों के किसानों में आक्रोश है। कई जिलों में आए दिन प्रदर्शन भी हो रही है। घंटों लाइन में लगने के बाद भी किसान खाली हाथ लौट रहे हैं।
एक लाख टन मांग बढ़ी, वितरण भी ठीक नहीं:
इस साल प्रदेश में मक्का का रकबा बढऩे से यूरिया की मांग 1 लाख मीट्रिक टन बढ़ गई है। ऐसे में कई जिलों में मांग के अनुसार समय पर खाद पहुंच नहीं पा रही है। वहीं, जिन जिलों में खाद उपलब्ध है वहां इसका वितरण ठीक से नहीं हो पा रहा है। इन दो कारणों से ही जिलों में खाद के लिए मारामारी की स्थिति बन रही है। कृषि विभाग के अधिकारियों ने बताया कि इस बार मक्का और धान के रकबे में वृद्धि होने से यूरिया की मांग अचानक बढ़ी। वर्ष 2025-26 में मक्का का रकबा 20.8 लाख हेक्टेयर हो गया, जबकि पिछले साल यह 15.3 लाख हेक्टेयर था।