खाद वितरण में अव्यवस्था पर कलेक्टर होंगे जिम्मेदार

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भोपाल (मध्य स्वर्णिम): मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि प्रदेश के किसानों को उर्वरक वितरण में किसी तरह की दिक्कत नहीं होनी चाहिए। यदि किसी जिले में वितरण व्यवस्था गड़बड़ मिलती है तो उसके लिए संबंधित कलेक्टर सीधे तौर पर जिम्मेदार होंगे। उन्होंने जिला प्रशासन को निर्देश दिया कि वे किसान संगठनों से लगातार संपर्क और संवाद बनाए रखें तथा उर्वरक वितरण की पारदर्शी व्यवस्था सुनिश्चित करें। सीएम ने मुख्यमंत्री निवास स्थित समन्वय भवन से प्रदेश के सभी जिलों के कलेक्टरों और अधिकारियों के साथ बैठक की। इस दौरान उन्होंने दो बड़े मुद्दों की समीक्षा की। पहले खरीफ सीजन में उर्वरक वितरण की व्यवस्था और दूसरी, अतिवृष्टि एवं बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में राहत कार्यों की स्थिति। बैठक में मुख्य सचिव अनुराग जैन, पुलिस महानिदेशक कैलाश मकवाना सहित वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे। डॉ. यादव ने कहा कि जिलों में उपलब्ध उर्वरक का स्टॉक समय-समय पर जनप्रतिनिधियों और किसान संगठनों को बताया जाए, ताकि किसानों को वास्तविक स्थिति की जानकारी मिल सके। जिलों के डबल लोड गोदाम, पैक्स और निजी विक्रय केंद्रों का आकस्मिक सत्यापन अनिवार्य रूप से हो। आवश्यकता पड़ने पर तुरंत अतिरिक्त बिक्री केंद्र भी खोले जाएं। बैठक में जानकारी दी गई कि खरीफ 2025 के लिए यूरिया, डीएपी, एनपीके, एसएसपी, एमओपी सहित अन्य उर्वरकों की उपलब्धता सुनिश्चित की जा रही है। वहीं, कालाबाजारी और नकली उर्वरक के खिलाफ बड़े पैमाने पर कार्रवाई की गई है। अब तक 38 एफआईआर दर्ज, 88 लाइसेंस निरस्त, 102 लाइसेंस निलंबित और 406 विक्रेताओं पर बिक्री प्रतिबंध लगाया गया है। मुख्यमंत्री ने धार, दमोह, जबलपुर और रीवा जिलों की व्यवस्थाओं को उदाहरण बताते हुए अन्य जिलों को भी नवाचार अपनाने के निर्देश दिए। दमोह में टोकन और वितरण को अलग-अलग कर दिया गया है। टोकन तहसील कार्यालय से और वितरण बिक्री केंद्र से किया जा रहा है। जबलपुर में फोन कॉल से टोकन वितरण और बिक्री केंद्रों पर डिस्प्ले बोर्ड लगाकर जानकारी दी जा रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस तरह की पारदर्शिता से किसानों को काफी राहत मिलती है।

21 प्रतिशत अधिक वर्षा, कई जिले प्रभावित:
बैठक में बताया गया कि इस साल 1 जून से 2 सितंबर तक प्रदेश में 971.5 मिमी यानी 38.24 इंच वर्षा दर्ज हुई है, जो औसत से 21 प्रतिशत अधिक है। गुना, मंडला, श्योपुर, रायसेन और अशोकनगर समेत 21 जिलों में सामान्य से कहीं अधिक बारिश हुई। बांधों और जलाशयों की स्थिति की भी समीक्षा की गई। अतिवृष्टि और बाढ़ से अब तक 394 लोगों की जान गई है और 5 हजार से अधिक मकान क्षतिग्रस्त हुए हैं। इसके अलावा 1814 पशुओं की मौत दर्ज हुई है। कुल 12 हजार हेक्टेयर से ज्यादा रकबा प्रभावित हुआ है। प्रभावित 17500 किसानों के लिए 20 करोड़ रुपये से अधिक की राहत राशि मंजूर की गई है।