परिवारवाद भारतीय लोकतंत्र के लिए खतरा

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नई दिल्ली (मध्य स्वर्णिम): कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा कि लोकतंत्र का असली वादा जनता की सरकार, जनता द्वारा, जनता के लिए तब तक पूरा नहीं हो सकता जब तक भारतीय राजनीति परिवारों की जायदाद बनी रहे। उन्होंने कहा कि यह समय है जब भारत को वंशवाद की जगह योग्यता आधारित राजनीति अपनानी चाहिए। इसके लिए जरूरी है कि राजनीतिक पार्टियों में सुधार किए जाएं, जैसे कि कार्यकाल की सीमा तय करना और पार्टी के सच्चे चुनाव कराना। थरूर ने कहा कि मतदाताओं को भी शिक्षित और जागरूक करना जरूरी है ताकि वे किसी का उपनाम देखर नहीं, बल्कि योग्यता देखकर वोट करें। उन्होंने कहा कि जब सत्ता किसी की काबिलियित या जनता से जुड़ाव के बजाय पारिवारिक पहचान पर तय होती है, तब शासन की गुणवत्ता गिर जाती है। शशि थरूर ने लिखा कि यह समस्या केवल कांग्रेस तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे राजनीतिक तत्र में फैली हुई है। थरूर के मुताबिक, जब किसी उम्मीदवार की सबसे बडी पहचान उसका उपनाम होता है तो टैलेंट की कमी हो जाती है और लोकतंत्र कमजोर पड़ता है। अपने लेख में थरूर ने कई उदाहरण दिए। उन्होंने कहा, ओडिशा में बीजू पटनायक के बाद उनके बेटे नवीन पटनायक ने कमान संभाली। महाराष्ट्र में बाल ठाकरे से उद्धव ठाकरे और फिर उनके बेटे आदित्य तक वंश चला गया। यूपी में मुलामय सिंह यादव से अखिलेश यादव, बिहार में रामविलास पासवान से चिराग पासवान और पंजाब में प्रकाश सिंह बादल से सुखबीर बादल तक यही कहानी दोहराई गई है। थरूर ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में अब्दुल्ला और मुफ्ती परिवारों का लंबे समय से दबदबा है।