शिवराज की पहल पर विदिशा नगर निगम तो भैरुंदा जिला मांग रफ्तार पकड़ी

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सीहोर: मध्य प्रदेश में प्रशासनिक नक्शे के नए स्वरूप को लेकर राजनीतिक हलकों में हलचल बढ़ गई है। सरकार की कवायद के बीच भैरुंदा (नसरुल्लागंज) को जिला बनाए जाने की मांग एक बार फिर मुखर हो उठी है। लंबे समय से यहां के लोग जिला दर्जे की मांग कर रहे हैं, लेकिन हर बार यह मांग सरकारी फाइलों में दबी रह गई। जनता का कहना है कि अब समय है कि भैरुंदा को उसका हक दिया जाए। विडंबना यह है कि बुधनी विधानसभा के अंतर्गत आने वाला भैरुंदा, जो मध्य प्रदेश की राजनीति में सबसे प्रभावशाली क्षेत्र माना जाता है, आज भी बुनियादी जरूरतों के लिए तरस रहा है। यह वही क्षेत्र है जहां से शिवराज सिंह चौहान राजनीतिक सफऱ की शुरुआत कर देश के केंद्रीय मंत्री बने। लेकिन वर्षों के सतत राजनीतिक प्रभाव के बावजूद भी क्षेत्र का विकास ठहर सा गया है। यहां शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार जैसी मूलभूत सुविधाएं आज भी उम्मीदों पर खरी नहीं उतरीं। भैरुंदा को शिवराज सिंह चौहान का गृह और कर्मक्षेत्र माना जाता है। उनका योगदान क्षेत्र की सिंचाई, सड़कों और खेती की प्रगति तक सीमित रहा, लेकिन शिक्षा और स्वास्थ्य में आज भी पिछड़ापन साफ देखा जा सकता है। जब भी जनता ने बड़े प्रशासनिक दर्जे, जैसे जिला दर्जा या उद्योगिक हब की मांग की, तो इसे अनसुना कर दिया गया। क्षेत्रवासियों को गहरा मलाल है कि जिस ज़मीन ने एक मुख्यमंत्री और अब केंद्रीय मंत्री दिया, उसे प्रशासनिक सम्मान क्यों नहीं मिल सका। प्रदेश की सत्ता में लंबे समय से प्रतिनिधित्व करने के बावजूद जो वादे भैरुंदा के लिए किए गए, वे शब्दों तक सिमट गए।