भोपाल: कार्बाइड गन के खतरे को लेकर दो साल पहले 2023 में आईसीएमआर भोपाल ने चेतावनी दी थी। आईसीएमआर के वैज्ञानिकों ने अपनी रिसर्च में बताया था कि कैल्शियम कार्बाइड और पानी के रासायनिक प्रतिक्रिया से बनने वाली गैस ‘एसिटिलीन’ केवल धमाका नहीं करती, बल्कि आंखों की रोशनी को भी नुकसान पहुँचा सकती है। यह स्टडी इंडियन जर्नल ऑफ ऑप्थेलमोलॉजी में प्रकाशित भी हुई थी। उसके बावजूद समय रहते उचित कदम नहीं उठाए गए, जिसकी वजह से अब तक भोपाल के अलग-अलग अस्पतालों में लगभग 162 लोग कार्बाइड गन से घायल हो चुके हैं। इनमें अधिकांश की आंखें जल चुकी हैं और उन्हें देखने में परेशानी हो रही है। कार्बाइड गन से हुए हादसे में घायल युवाओं और बच्चों का हालचाल जानने उप मुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ल हमीदिया अस्पताल पहुंचे। उन्होंने डॉक्टरों से घायलों की स्थिति की जानकारी ली और सभी को उच्चस्तरीय इलाज और निरंतर निगरानी सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। उप मुख्यमंत्री ने घायलों से मुलाकात कर उनका मनोबल बढ़ाया और कहा कि राज्य सरकार उनके पूर्ण स्वास्थ्य लाभ तक हरसंभव सहायता प्रदान करेगी।
पटाखे जलाने पर जातिगत विवाद:
दीपावली के त्योहार और पटाखे जलाने में भी दलित और सवर्ण में विवाद का मामला सामने आ गया। केसली थाना क्षेत्र में रहने वाले दलित परिवार की महिलाओं ने एसपी से शिकायत करते हुए कहा कि हमारे बच्चों के पटाखे चलाने पर ठाकुरों ने घर में घुसकर गालियां देते हुए महिलाओं सहित पूरे परिवार से मारपीट की है।जानकारी अनुसार मध्य प्रदेश के सागर जिले में दलित परिवारों के लोगों ने शिकायत की है कि दिवाली के अवसर पर पटाखे फोडऩे को लेकर हुए विवाद के बाद राजपूत क्षत्रिय समुदाय के लोगों के एक समूह ने उनके घरों में घुसकर उनके साथ मारपीट की। यह घटना सागर जिले के केसली गांव में हुई और मामला तब प्रकाश में आया जब महिलाओं सहित दलितों के एक समूह ने पुलिस अधीक्षक से मुलाकात की और लिखित शिकायत सौंपी।
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