बिहार में बहार के बाद एमपी में खिलेंगे चेहरे

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राजनीतिक संवाददाता/मध्यस्वर्णिम भोपाल: मध्यप्रदेश में ओबीसी आयोग के अध्यक्ष पद पर रामकृष्ण कुसमारिया की नियुक्ति के बाद अब निगम-मंडल, बोर्ड, आयोग और प्राधिकरणों में राजनीतिक नियुक्तियों की प्रक्रिया को लेकर हलचल तेज हो गई थीं। सत्ता के गलियारों में चर्चा थी कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल के बीच संभावित नामों को लेकर विस्तृत चर्चा हो चुकी है। इन नामों की सूची तैयार कर अनुमोदन के लिए केंद्रीय नेतृत्व को भेज दी गई है। अनुमति मिलते ही नियुक्तियों के आदेश जारी किए जाएंगे। लेकिन, अब मध्य प्रदेश में बोर्डों और निगमों के अध्यक्षों और उपाध्यक्षों की नियुक्तियां अब बिहार विधानसभा चुनावों के बाद ही होंगी। संगठन का पूरा ध्यान अब बिहार के महत्वपूर्ण चुनावी मुकाबले पर है। इस कारण सभी नियुक्तियों को टाल दिया गया है। फिलहाल राज्य में निगम-मंडल, बोर्ड और आयोगों के लगभग तीन दर्जन से अधिक अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के पद रिक्त हैं, जिन्हें भरने के लिए यह कवायद बिहार चुनाव के बाद की जाएगी। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने लोकसभा चुनाव से पहले 45 निगम- मंडलों और बोर्डों में की गई पूर्ववर्ती नियुक्तियों को रद्द कर दिया था। तब से अब तक इन संस्थाओं में कोई नई नियुक्ति नहीं हुई है। पार्टी के कई बड़े नेता बिहार में चुनाव ड्यूटी पर हैं। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव भी बिहार चुनाव में स्टार प्रचारक की भूमिका में लंबा समय प्रचार में बिताने वाले हैं, क्योंकि अधिकांश जिला इकाइयों ने योगी आदित्यनाथ के बाद डॉ. यादव के रैलियों की डिमांड रख दी है। बोर्डों और निगमों के अध्यक्षों की घोषणा बिहार चुनावों के बाद ही होने की संभावना है।

2024 में भंग हुए 45 बोर्ड और निगम:

बोर्डों और निगमों के अध्यक्षों को कैबिनेट मंत्री का दर्जा मिलता है। वहीं उपाध्यक्षों को राज्य मंत्री का दर्जा मिलता है। फरवरी 2024 में, मुख्यमंत्री सचिवालय ने मुख्य सचिव को 60 में से 45 अध्यक्षों को हटाने का निर्देश दिया था। उनमें से कुछ का कार्यकाल दो साल से अधिक बचा था।दिसंबर 2021 में, तत्कालीन शिवराज सिंह चौहान सरकार ने 25 लोगों को अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के रूप में नामित किया था। 2023 के राज्य विधानसभा चुनाव से पहले, 35 और लोगों को इन भूमिकाओं के लिए नियुक्त किया गया था।