पूर्वांचल के प्रसिद्ध छठ पूजा को यूनेस्को की धरोहर में शामिल कराने का प्रयास सराहनीय: डॉ. मोहन यादव

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भोपाल (मध्य स्वर्णिम): मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव भोपाल जिले के बैरसिया विधानसभा के परवलिया सड़क के बूथ क्र. 264 जगदीशपुर में, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष व विधायक हेमंत खण्डेलवाल ने बैतूल विधानसभा के गंज मंडल के बूथ. क्र. 122 स्थित पीएमजे. एच. कॉलेज के अटल बिहारी वाजपेयी सभागृह में एवं भाजपा के प्रदेश संगठन महामंत्री हितानंद जी ने बिहार के सीतामढ़ी नगर पश्चिम के बूथ क्रमांक 39, अनुसूचित जाति बस्ती में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मन की बात कार्यक्रम को सुना। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने कार्यक्रम में नारी शक्ति की ताकत का प्रकटीकरण किया, जो अत्यंत प्रेरक है। पूर्वांचल के प्रसिद्ध छठ पूजा को यूनेस्को की सांस्कृक्तिक धरोहर में शामिल कराने का प्रधानमंत्री का प्रयास बहुत सराहनीय है। यह विरासत भी विकास भी की परिकल्पना को मूर्त रूप देने का कार्य है। उन्होंने महिला स्व सहायता समूह की बहनों को पौधा भेंट किया और सभी को स्वदेशी अपनाने का संकल्प भी दिलाया। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल ने कहा कि महिलाएं विकसित भारत के निर्माण में महती भूमिका निभा रहीं हैं। कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री ने जिन बातों की चर्चा की, उनका प्रभाव देशवासियों के मन मष्तिष्क पर लंबे समय तक रहेगा, क्योंकि उनका उद्देश्य राष्ट्र कल्याण होता है। प्रदेश के सभी बूथों पर पार्टी के प्रदेश पदाधिकारियों, जनप्रतिनिधियों एवं कार्यकर्ताओं ने प्रधानमंत्री के ‘मन की बात’ कार्यक्रम को सुना। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने स्व सहायता समूह की बहनों के साथ ‘मन की बात’ कार्यक्रम सुनने के उपरांत कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने कार्यक्रम में अनेक घटनाओं, उपलब्धियों एवं देश की अद्वितीय हस्तियों की चर्चा की। उन्होंने महान क्रांतिकारी भगत सिंह की बात की, जिन्होंने अपने बलिदान से युवाओं का मान बढ़ाया। स्वर साम्राज्ञी लता मंगेशकर की बात की, जिनकी आवाज की दीवानी अनेक पीढ़ियां रहीं हैं और जिन्होंने हर तरह के भजन, गीत, गाते हुए बहुत कम उम्र की अभिनेत्रियों को भी अपनी आवाज दी। प्रधानमंत्री ने प्रसिद्ध गायक भूपेन हजारिका की भी चर्चा की। प्रधानमंत्री ने नवरात्रि पर्व में नारी शक्ति की ताकत का आभास कराने वाली उन बहनों के पराक्रम की चर्चा की, जिन्होंने एक छोटी सी नाव के सहारे सारी दुनिया की परिक्रमा की। इस दौरान उन्हें तीन मंजिल बिल्डिंग के बराबर ऊंची लहरों, भयानक गर्मी और हड्डियां कंपा देने वाली सर्दी का सामना भी करना पड़ा।