चुनाव लड़ने की उम्र घटाने की सिफारिश से चुनाव आयोग नहीं रखता इत्तेफाक

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नई दिल्ली (मध्य स्वर्णिम): चुनाव लडऩे की उम्र 21 साल करने को लेकर संसद की स्थायी समिति की सिफारिश से चुनाव आयोग इत्तेफाक नहीं रखता। चुनाव आयोग को इस बाबत समिति के सुझाव वाली रिपोर्ट मिली तो उसने सहज प्रतिक्रिया राय समिति को भेजी कि वह चुनाव लडऩे की उम्र घटाने के पक्ष में नहीं है, क्योंकि 18 साल की उम्र में अगर एक वोट दे भी दिया तो इस अवस्था में इतनी परिपक्वता नहीं आती कि युवा संसद या विधान मंडल जैसे अहम पद की जिम्मेदारियों को संभालने और समझने की गंभीरता हासिल कर ले। संसद की स्थायी समिति की अगुआई बीजेपी सांसद बृजलाल कर रहे हैं। समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि विकसित और नए जमाने की सोच वाले युवाओं को लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं से रूबरू कराने देश को चुनाव लडऩे की न्यूनतम उम्र 25 साल से घटाकर 21 साल करने पर फिर से विचार करना चाहिए। हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि इस बदलाव को गति देने के बाद देशभर में कम से कम आठ करोड़ और युवा चुनाव लडऩे की योग्यता पूरी करने लायक हो जाएंगे। स्थायी समिति ने विधि और न्याय मंत्रालय को मशविरा देने के लिए भेजी रिपोर्ट के साथ उम्मीद जताई कि कई विभागों के बीच इस प्रस्ताव पर व्यापक चर्चा होनी चाहिए। इससे युवा संगठनों, संविधान विशेषज्ञों, सामाजिक और नागरिक संगठनों के हितधारकों को शामिल कर उनकी राय ली जाए। बता दें चुनाव लडऩे की उम्र घटाने की एक सिफारिश 2023 में भी गई थी, तब चुनाव लडऩे की उम्र 25 साल से घटाकर 18 साल करने की सिफारिश की गई थी।