सारनी (मध्य स्वर्णिम): भाजपा प्रदेशध्यक्ष एवं बैतूल विधायक हेमंत खंडेलवाल से सतपुड़ा कांट्रेक्टर एसोसिएशन के 30 लोगों ने भेट कर 40 साल से बिजली घर में काम करने वाले ठेकेदारों के छोटे-छोटे कार्यों को मर्ज कर बाहरी कंपनीनियों के आने से स्थानीय लोग भुकमरी की कगार पर आ गए हैं द्य संघ ने प्रदेश अध्यक्ष को दिए ज्ञापन में बताया की कंपनी प्रबंधन द्वारा छोटे-छोटे कार्यों को मर्ज कर को उनकी शर्तों में करोड़ो के काम सोपने से स्थानीय ठेकेदारों बेरोजगारी और अपमानजनक के साथ उपेक्षा के शिकार हो रहें हैं । सतपुड़ा पावर प्लांट से जुड़े विभिन्न कार्यों में बीते चार दशकों से स्थानीय ठेकेदार और श्रमिक अपनी निष्ठा, परिश्रम और ईमानदारी से काम करते आ रहे हैं। इन्हीं कार्यों ने न केवल ठेकेदारों और श्रमिकों के परिवारों की आजीविका चलाई, बल्कि जिले की अर्थव्यवस्था और विकास को भी गति दी। सीएचपी (O&M) कार्य लगभग 45 करोड़ रुपये का है, जिसमें करीब 450 श्रमिक कार्यरत हैं। पहले इस कार्य को 10 से 15 स्थानीय ठेकेदारों के बीच बांटकर दिया जाता था, जिससे सभी को रोज़गार मिलता था। एएचपी (O&M) कार्य लगभग 9 करोड़ रुपये का है, जिसमें लगभग 130 श्रमिक कार्यरत हैं। यह काम भी पूर्व में 7 से 8 स्थानीय ठेकेदारों में विभाजित होता था। यह काम एक ही ठेकेदार ना करें जैसा सभी जानते हैं की इन दोनों कामों को बाहरी कपनियाँ ने हथिया लिया है।
स्थानीय ठेकेदारों को काम ही नहीं मिल रहा:
छोटे ठेकेदार, जिनके पास टर्नओवर अधिक नहीं है, पूरी तरह बेरोजगार हो गए हैं। बड़ी-बड़ी बाहरी कंपनियाँ द्वारा स्थानीय ठेकेदारों को काम दिया जाना सुनिश्चित करें। यहाँ की मेहनत और पसीने से कमाया पैसा हमारे जिले के विकास में लगने की बजाय बाहर चला जा रहा है। महोदय, यह स्थिति न केवल ठेकेदारों और श्रमिकों की रोज़ी-रोटी पर कुठाराघात है, बल्कि जिले की अर्थव्यवस्था पर भी एक करारी चोट है। यदि स्थानीय ठेकेदारों को काम से वंचित रखा गया तो सैकड़ों परिवार भुखमरी और बेबसी की कगार पर पहुँच गए हैँ। सतपुड़ा पावर प्लांट में होने वाले कार्यों को क्लब करने की बजाय पुन: छोटे-छोटे पैकेज में विभाजित कर स्थानीय ठेकेदारों को प्राथमिकता दी जाए। , छोटे एवं नए स्थानीय ठेकेदारों को टर्नओवर जैसी शर्तों से छूट दी जाए ताकि वे भी काम कर सकें। बाहरी कंपनियों के ठेकों पर रोक लगाकर यह सुनिश्चित किया जाए कि जिले का पैसा जिले में ही रहे और यहीं के विकास में लगे। महोदय, यह ज्ञापन मात्र शब्द नहीं, बल्कि स्थानीय ठेकेदारों और श्रमिकों की करुण पुकार है। क्या दशकों की निष्ठा, सेवा और पसीने का पुरस्कार अब भूखमरी और अपमान होगा क्या बैतूल की धरती पर खड़े होकर बैतूलवासियों को ही रोजग़ार से वंचित किया जाएगा ऐसे कई मुद्दों से प्रदेशध्यक्ष को अवगत कराने पर उन्होंने उक्त मामले में सम्बंधित विभागों के अधिकारियो से चर्चा कर छोटे कामों मर्ज नहीं होने का अश्वशन दिया है।