राजनीतिक खबर: ऋषिकांत सिंह (रजत) परिहार (मो. 9425002527)
आशा की राहों में थके, वो चेहरे बार-बार। कब पूरी होगी आस, कब होगा दीदार।
कब बदलेगी ये तस्वीर, कब होगा कोई सार। राजनीति का ये खेल, देता है बस इंतजार।
हमेशा दिल में है उम्मीद, कल आएगा वो पार। कब थमेगा ये इंतजार, कब होगा दीदार।
देश के उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन के चुनाव के बाद भारतीय जनता पार्टी के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष को लेकर सरगर्मियां फिर एक बार तेज हो गई है। क्योंकि पिछले दो साल से राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव टलते आ रहा है। इसकी प्रमुख वजह अभी तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को जेपी नड्डा का उत्तराधिकारी नहीं मिल पाना है। वैसे राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक डॉक्टर मोहन भागवत भले ही आरएसएस को राष्ट्रीय अध्यक्ष की चयन प्रक्रिया से दूर होने की बात कह रहे है, लेकिन सब जानते है कि संघ इस बार ‘इंडिपेंडेंट अध्यक्ष’ चाहता है। जो बिना किसी के प्रभाव में आकर निष्पक्ष रूप से पार्टी के हित में निर्णय ले सके। ऐसे व्यक्ति का चयन अभी तक मोदी-शाह को जोड़ी नहीं कर पाई है। जिसके कारण पिछले दो साल से चुनाव नहीं हो पाया है। लेकिन एक बात तो तय है कि जब भी भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव होगा इसमें प्रस्तावक नरेंद्र मोदी और अमित शाह जरूर बनेंगे। अगर पार्टी अपने भावी राष्ट्रीय अध्यक्ष का चयन शुभ घड़ी नवरात्र में कर लेती है तो ठीक नहीं वरना फिर नवंबर में होने वाले बिहार चुनाव के बाद ही इस पर फैसला होगा। हमारे नई दिल्ली के सूत्रों का कहना है कि आरएसएस ने संजय जोशी के बाद महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस के नाम पर विचार करने के लिए कहा है। जिस पर मोदी- शाह के बीच मंथन जारी है। क्योंकि यह जोड़ी को पता है कि पूर्व में उनके द्वारा रखे गए सभी प्रमुख नामों पर सहमति नहीं बन पाई है। चाहे वह भूपेंद्र यादव, धर्मेंद्र प्रधान हो या फिर शिवराज सिंह चौहान, मनोहर लाल खट्टर क्यों न हो। खैर यह बात तो सौ प्रतिशत स्पष्ट है कि बिना आरएसएस की सहमति से भारतीय जनता पार्टी के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष का चयन नामुमकिन है।
गुजरात और यूपी में अध्यक्ष का चयन शेष:
केंद्रीय नेतृत्व ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में अपने अध्यक्षों का चुनाव कर लिया है। पिछले साल पार्टी के आंतरिक चुनाव शुरू होने के बाद से अब तक 37 संगठनात्मक राज्यों में से 22 राज्यों में उसके संगठनात्मक प्रमुखों का चुनाव हो चुका है। लेकिन गुजरात और उत्तर प्रदेश में अध्यक्ष को लेकर पेच होने के कारण फैसला नहीं हो पाया है। हालांकि बीजेपी के संविधान के अनुसार राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया शुरू होने से पहले कम से कम 19 राज्य में अध्यक्षों का चुनाव होना आवश्यक है, जिसे पहले ही पूरा किया जा चुका है।