मछली के गुर्गों ने की मानव अधिकार आयोग पर दबाव बनाने की कोशिश

0

भोपाल मध्य स्वर्णिम (खास खबर): ड्रग, बलात्कार और जमीन का अवैध कारोबार करने वाले शारिक मछली और यासीन मछली का बचाव करने के लिए मध्य प्रदेश का व्यक्ति मिठाई लेकर राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के सदस्य प्रियंक कानूनगो के शासकीय निवास पर पहुंच गया। मुलाकात के दौरान उसने प्रियंक कानूनगो को अपना नाम जैनेंद्र पाठक बताया और कहा कि वह भोपाल वाले शारिक मछली के साथ प्रॉपर्टी का धंधा करता है और उसकी तरफ से आया है। उसका बहुत नुकसान हो गया है, उसको छोड़ दीजिए। इतना सुनकर प्रियंक कानूनगो को गुस्सा आया और उन्होंने उस शख्स को डांटकर भगा दिया। वह शख्स अपने साथ मिठाई भी लेकर मिलने पहुंचा था। प्रियंक कानूनगो ने वह मिठाई भी घर के बाहर रखवा दी और उसकी सूचना टीलाजमनगर पुलिस को दे दी। कुछ देर बाद पुलिस के अधिकारी बंगले पर पहुंचे और मिठाई जब्त कर आगे की कार्रवाई शुरू कर दी। बता दें कि शारिक मछली के खिलाफ भोपाल में कई गंभीर अपराध पंजीबद्ध हैं। शारिक मछली पर एमडी ड्रग, शासकीय जमीन पर कब्जे, हिंदू लड़कियों से बलात्कार और ब्लैकमेलिंग जैसे कई मामले दर्ज हैं। इसके बावजूद जैनेंद्र पाठक नाम के व्यक्ति द्वारा कार्रवाई रोकने की सिफारिश करना कहीं न कहीं किसी षड्यंत्र की ओर इशारा कर रहा है। आयोग के सदस्य प्रियंक कानूनगो ने पूरी घटना की जानकारी सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए लिखा है कि “मेरे दिल्ली शासकीय आवास पर जैनेंद्र पाठक नाम का एक व्यक्ति स्वयं को मध्य प्रदेश का निवासी बता कर मुलाकात के लिए आया। मुझसे मिलकर बोला कि वह भोपाल वाले शारिक मछली के साथ प्रॉपर्टी का धंधा करता है वह उसकी तरफ से आया है। उसका बहुत नुकसान हो गया है उसको छोड़ दीजिए। मैंने उसको डांट कर भगा दिया, वह अपने साथ लाई मिठाई देना चाह रहा था जो कि वह जाते वक्त घर के दरवाजे पर छोड़कर भाग गया। हमने पुलिस को शिकायत कर दी है, पुलिस जब्त कर ले गई है। शारिक के विरुद्ध हिंदू लड़कियों को ड्रग देने, बलात्कार करने, वीडियो बनाकर ब्लैकमेल करने और इस्लाम में धर्मांतरित करने के मामले के अलावा, वंचित तबके के हिंदुओं केवट मांझी जाति के लोगों के वंशानुगत अधिकार वाले तालाबों पर मत्स्याखेट के लिए कब्जे किए जाने के मामले में मेरे निर्देश पर जांच की जा रही है।

उनका कहना है:
आयोग का आदेश जारी होना है। उस आदेश को प्रभावित करने की कोशिश की जा रही है। लेकिन हम किसी के दबाव में नहीं आएंगे और इस मामले की निष्पक्ष जांच और कार्रवाई की जाएगी।
प्रियंक कानूनगो, सदस्य राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग