भोपाल (मध्य स्वर्णिम): राजधानी के एल.एन. मेडिकल कॉलेज एंड जे.के. हॉस्पिटल एक बार फिर लापरवाही पूर्वक उपचार की वजह से चर्चा में है। पेट दर्द और बुखार का उपचार कराने के लिए जे.के. हॉस्पिटल एक 11 वर्षीय लड़की की किडनी में स्टोन बता दिया। जिसकी वजह से परिजन काफी तनाव में आ गए। सिर्फ स्टोन ही नहीं जूनियर डॉक्टरों ने तो सर्जरी कराने की सलाह भी दे दी। लेकिन परिजन इस बात को मानने के लिए राजी नहीं हुए और अगले दिन बंसल अस्पताल में उपचार कराने पहुंच गए। दरअसल यह पूरा मामला 28 अगस्त का है। एक 11 साल की लड़की को अचानक तेज पेट दर्द बुखार भी आ गया। जिसके उपचार के लिए परिजन शाम को 7 बजे कोलार स्थित जे.के. हॉस्पिटल ले गए। इमरजेंसी में ड्यूटी डॉक्टर को दिखाया तो उन्होंने बच्चों वाले वार्ड में भर्ती कर इलाज शुरू कर दिया। ड्यूटी डॉक्टर ने दर्द की वजह जानने के लिए यूएसजी सोनोग्राफी कराने की सलाह दी। परिजनों ने डॉक्टर की सलाहनुसार सोनोग्राफी करवाई जिसकी रिपोर्ट रात को करीब 10:30 बजे मिली। रिर्पोट में मरीज की दोनों किडनी में स्टोन होना बताया गया। दायीं किडनी में 4.2 एमएम एवं बायीं किडनी में 7.3 एमएम पथरी बताई गई। इसके बाद परिजन दर्द निवारक दवा लेकर हॉस्पिटल से डिस्चार्ज होकर घर चले गए। अगले दिन 29 अगस्त को सुबह 11 बजे किडनी में स्टोन और बुखार की शिकायत को लेकर परिजन बंसल हॉस्पिटल पहुंचे जहां युरोलॉजिस्ट डॉक्टर संतोष अग्रवाल ने भर्ती कर लिया। भर्ती के दौरान ब्लड, युरिन के साथ सीटी स्कैन जांच कराई गई। सीटी स्कैन की रिपोर्ट में किडनी में स्टोन होना नहीं पाया गया। दर्द की मु य वजह युरिन इंफेक्शन बताया गया। डॉक्टर ने इंफेक्शन का उपचार किया और दो दिन बाद 31 अगस्त को शाम को डिस्चार्ज कर दिया। ऐसे में बड़ा सवाल यह उठता है कि जे.के. हॉस्पिटल मरीजों के लूट का अड्डा बन चुका है। जहां मरीजों की जान के साथ खिलवाड़ किया जाता है। और इमरजेंसी में में जूनियर नर्सिंग स्टाफ और जूनियर डॉक्टर्स उपचार किया जाता है। जो किसी भी मरीज के लिए घातक हो सकता है।
इनका कहना:
हमें आपके द्वारा इसकी जानकारी मिली है। हम इसकी जांच कराएंगे और जांच में दोषी पाए जाने पर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।
मनीष शर्मा, जिला चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, भोपाल