दिल्ली-NCR में आवारा कुत्तों को शेल्टर होम भेजने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर आज फिर से सुनवाई होगी। चीफ जस्टिस बीआर गवई ने जस्टिस विक्रम नाथ, संदीप मेहता और एनवी अंजारिया की बेंच को इस मामले में पुनर्विचार करने का निर्देश दिया है। कोर्ट का यह रुख 11 अगस्त को दिए गए उस आदेश के बाद आया है, जिसमें आठ हफ्तों के भीतर सभी आवारा कुत्तों को आवासीय क्षेत्रों से हटाकर शेल्टर होम भेजने को कहा गया था।
विरोध के बीच कोर्ट का नरम रुख, बाहर बढ़ा तनाव इस आदेश के खिलाफ पशु अधिकार संगठनों और डॉग लवर्स ने जमकर विरोध जताया। कोर्ट के बाहर बुधवार को वकीलों और डॉग लवर्स के बीच झड़प का वीडियो भी सामने आया, जिससे मामला और गर्मा गया। सुप्रीम कोर्ट ने पहले स्पष्ट चेतावनी दी थी कि आदेश के रास्ते में रुकावट डालने वालों पर सख्त कार्रवाई होगी। लेकिन विरोध और संवेदनशीलता को देखते हुए अब कोर्ट दोबारा विचार करने को तैयार है।
सुप्रीम कोर्ट सख्त: कुत्तों की नसबंदी और शेल्टर अनिवार्य सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर के नगर निकायों को आदेश दिया है कि वे आवारा कुत्तों की तुरंत नसबंदी कर उन्हें स्थायी रूप से शेल्टर होम में रखें। कोर्ट ने 8 हफ्तों की समयसीमा दी है और चेतावनी दी कि इसमें कोई भी रुकावट कानूनी कार्रवाई को जन्म दे सकती है। यह कार्रवाई 2024 में सामने आए 37 लाख डॉग बाइट्स और रेबीज से हुई 54 मौतों के आंकड़ों को देखते हुए की गई है। कोर्ट ने इसे डरावनी स्थिति बताते हुए तत्काल कदम उठाने को कहा।
थरूर ने सुझाया फंड का सीधा इस्तेमाल कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा कि नगर निकाय फंड का सही उपयोग नहीं कर पा रहे, इसलिए यह धनराशि सीधे अनुभवी एनजीओ को दी जानी चाहिए जो पशु जन्म नियंत्रण और शेल्टर प्रबंधन में बेहतर काम कर सकते हैं। वहीं राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर असहमति जताई, यह कहते हुए कि बेजुबान जानवर कोई ‘समस्या’ नहीं हैं और यह कदम वर्षों की मानवीय नीति से पीछे हटने जैसा है।