पतंजलि के च्यवनप्राश वाले विज्ञापन पर याचिका

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नई दिल्ली (मध्य स्वर्णिम): पतंजलि आयुर्वेद के एक विज्ञापन के खिलाफ डाबर की याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। डाबर की ओर से आरोप लगाया है कि पतंजलि के एक विज्ञापन में बाकी सभी च्यवनप्राश ब्रांड्स को धोखा बताया गया। सुनवाई के दौरान जस्टिस तेजस करिया ने पतंजलि से सवाल किया कि वे अन्य कंपनियों द्वारा तैयार किए गए च्यवनप्राश को धोखा कैसे कह सकते हैं। उन्होंने टिप्पणी करते हुए कहा कि पतंजलि सर्वश्रेष्ठ होने का दावा तो कर सकती है, लेकिन यह नहीं कह सकती कि अन्य धोखेबाज हैं। डाबर का दावा है कि विज्ञापन उनके 1949 से चल रहे प्रमुख उत्पाद की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाता है और उपभोक्ताओं को भ्रमित करता है। शिकायत के अनुसार, विज्ञापन में बाबा रामदेव उपभोक्ताओं को चेतावनी देते हुए दिखाई दे रहे हैं कि च्यवनप्राश के नाम पर ज्यादातर लोग ठगे जा रहे हैं, और अन्य ब्रांडों को धोखा कह रहे हैं। विज्ञापन पतंजलि के उत्पाद को एकमात्र असली च्यवनप्राश के रूप में प्रचारित करता है जो आयुर्वेद की असली शक्ति प्रदान करता है। डाबर ने आरोप लगाया है कि यह विज्ञापन जानबूझकर उसके अपने प्रमुख उत्पाद, डाबर च्यवनप्राश, जो 1949 से 61 प्रतिशत से अधिक बाजार हिस्सेदारी के साथ बाजार पर हावी है, को बदनाम करता है और उपभोक्ताओं को अन्य सभी च्यवनप्राश निर्माताओं पर अविश्वास करने के लिए गुमराह करता है।