एम्स में एक हफ्ते में दो ट्रांसप्लांट, युवाओं में किडनी का खतरा बढ़ा, अनकंट्रोल ब्लड प्रेशर बन रही वजह

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भोपाल: तेज रफ्तार जिंदगी, अनियमित खानपान और बढ़ता स्ट्रेस अब सीधे युवाओं की किडनी पर वार कर रहा है। एम्स भोपाल में पिछले एक हफ्ते में 35 साल से कम उम्र के दो युवाओं का किडनी ट्रांसप्लांट किया गया। एक को ब्रेन डेड मरीज से नई किडनी मिली, जबकि दूसरे को उसकी बहन ने अपनी किडनी दान कर जीवनदान दिया। डॉक्टरों के अनुसार, दोनों ही मामलों में अनकंट्रोल ब्लड प्रेशर (हाइपरटेंशन) किडनी फेल होने का मुख्य कारण रहा। डॉक्टरों का कहना है कि आज की तारीख में युवा हार्ट अटैक से नहीं, बल्कि किडनी फेल्योर से ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं। एम्स भोपाल के डॉ. केतन मेहरा ने बताया कि युवाओं में किडनी फेल्योर की सबसे बड़ी वजह अनियंत्रित बीपी, डायबिटीज, स्ट्रेस और अनहेल्दी लाइफस्टाइल है। वे कहते हैं, यदि समय पर बीपी की जांच और नियंत्रण किया जाए तो 80% मामलों में किडनी डैमेज को रोका जा सकता है। लंबे समय तक बढ़ा हुआ ब्लड प्रेशर भारतीय आयुर्विजान संस्थान भोपाल किडनी की महीन रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचाता है, जिससे वे रक्त को फिल्टर करने की क्षमता खोने लगती हैं।

बीपी पर रखें नजर:
एम्स भोपाल की नेफ्रोलॉजी और यूरोलॉजी टीम ने कहा कि यह दोनों सर्जरी केवल चिकित्सकीय उपलब्धि नहीं, बल्कि समाज के लिए हेल्थ अलर्ट हैं। पहली सर्जरी रविवार को और दूसरी मंगलवार को हुई। दोनों ही मरीजों की उम्र 30 से 32 वर्ष के बीच थी।

ब्रेन डेड डोनर ने दी नई जिंदगी:
पहला मरीज 30 वर्षीय युवक था जो लंबे समय से हाइपरटेंशन से पीडि़त था। लगातार इलाज के बावजूद उसका ब्लड प्रेशर नियंत्रित नहीं हो पाया और धीरे-धीरे दोनों किडनियों ने काम करना बंद कर दिया। पिछले एक वर्ष से वह डायलिसिस पर था। इसी दौरान एम्स में एक ब्रेन डेड मरीज के अंगदान की प्रक्रिया शुरू हुई और युवक को उस दाता की किडनी मिल गई। सर्जरी सफल रही और अब वह पूरी तरह सामान्य गतिविधियां करने लगा है। डॉक्टरों ने बताया कि पहले जहां ऐसे मरीजों को 30 दिन तक भर्ती रहना पड़ता था, वहीं अब वे सिर्फ सात दिन में डिस्चार्ज हो जा रहे हैं।

बहन ने भाई को दी अपनी किडनी:
दूसरा ट्रांसप्लांट मंगलवार को किया गया। 32 वर्षीय युवक की हालत गंभीर थी, ऐसे में उसकी तीन साल बड़ी बहन ने भाई को बचाने के लिए अपनी एक किडनी दान कर दी।