भोपाल (मध्य स्वर्णिम): राज्यपाल पटेल चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय के 13 वें दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रहे थे। राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने कहा है कि शिक्षा का उद्देश्य केवल ज्ञान देना नहीं, बल्कि वंचित समुदाय के उन्नति का मार्ग प्रशस्त करना भी है। उन्होंने उपाधि धारकों से कहा कि नानाजी द्वारा स्थापित विश्वविद्यालय में अध्ययन करने का मौका आप सभी विद्यार्थियों को सौभाग्य के रूप में मिला है। उनके बौद्धिक विचारों से प्रेरणा लेकर अपने जीवन की दिशा तय करें और सुखी तथा समृद्ध जीवन की ओर अग्रसर हों। राज्यपाल एवं कुलाधिपति पटेल ने दीक्षांत समारोह मे नानाजी के कार्यों का स्मरण किया। उन्होंने 37 छात्रों को शोध उपाधि, 35 उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले विद्यार्थियों को पदक और 01 विद्यार्थी को नानाजी मेडल प्रदान किया। राज्यपाल मंगुभाई पटेल एवं उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने ग्रामोदय से राष्ट्रोदय की थीम पर आधारित विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं द्वारा आयोजित ग्राम जीवन प्रदर्शिनी , गांव से गगन तक और डीआरआई की कृषि प्रदर्शनी का अवलोकन किया। विश्वविद्यालय के ललित कला संकाय के विद्यार्थियों द्वारा लगाई गई नानाजी देशमुख के जीवन पर केन्द्रित चित्रकला प्रदर्शनी का अवलोकन किया। इस मौके पर राज्यपाल ने राज्य कृषि विपणन बोर्ड द्वारा नव निर्मित किसान भवन के प्रथम तल का लोकार्पण किया।उनके समक्ष विश्वविद्यालय की छात्राओं द्वारा लोक संस्कृति पर आधारित सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किये गये। राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने विद्यार्थियों से कहा है कि समृद्धि और सफलता के शिखर पर पहुंचने पर भी ये याद रखें कि आपको इस मुकाम तक पहुंचाने वाले आपके माता-पिता, शिक्षक, समाज और देश को कभी नही भूलें। उन्होंने कहा कि जैसे चित्रकूट के कण-कण में नानाजी की उदारता और उनकी संकल्प शक्ति के दर्शन होते हैं वैसे ही आपको अपने कार्यों से अपनी और विश्वविद्यालय की कीर्ति दूर-दूर तक पहुंचानी चाहिए। विकसित भारत में हमारा जीवन कैसा हो इसके लिए जो शिक्षा ग्रहण की है उसका सदुपयोग समाज और राष्ट्र के हित में करते हुए सभी का जीवन समृद्ध और सुखमय बनाये।
उपाधि और पदक के साथ नानाजी के आदर्शों को भी साथ ले जाएं : परमार
उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने विद्यार्थियों से कहा कि उपाधि और पदक के साथ विश्वविद्यालय की नींव रखने वाले राष्ट्र ऋषि नानाजी देशमुख के आदर्शों को साथ ले जाएं। नानाजी देशमुख ने समाज के परिवर्तन के लिए कर्मभूमि चित्रकूट मे विश्वविद्यालय की स्थापना की है। विश्वविद्यालय से दीक्षित छात्र ,छात्रा को कृषि,स्वास्थ्य, विज्ञान के क्षेत्र में नवाचार करते हुए समाज की चुनौतियों के समाधान प्रस्तुत करने चाहिए। वर्ष 2047 में विकसित भारत बनाने के प्रयासों में उद्योगपति, किसान, युवाओं सभी की भूमिका है। उन्होंने कहा कि दुनिया ने अनेक चुनौतियां भारत के सामने खडी की लेकिन हमारा दर्शन वसुधैव कुटुम्बकम का है। उन्होने छात्र-छात्राओं से कहा कि सत्य निष्ठा और परिश्रम से की गई पढाई हमारी अथवा हमारे परिवार की नहीं बल्कि देश की संपत्ति है। उच्च शिक्षा मंत्री ने ग्रामोदय विश्वविद्यालय को देश भर में अव्वल रहने की शुभकामनायें देते हुए सरकार की ओर से निरंतर सहयोग देने का आश्वासन दिया। महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय दीक्षांत समारोह में राष्ट्रीय सचिव शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास डॉ. अतुल कोठारी ने कहा कि विद्यार्थी के लिए यशस्वी और सार्थक जीवन का अर्थ है कि वह व्यवसायी जीवन में सफलता प्राप्त करे | स्वयं के परिवार का पालन करते हुए समाज मे योगदान के लिए सक्षम बनें। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि दीनदयाल शोध संस्थान के संगठन सचिव अभय महाजन ने कहा कि भारत रत्न नानाजी देशमुख ने 75 वर्ष की आयु में चित्रकूट आकर यहां के समाज और वंचित समुदाय के साथ संवेदना के साथ जुडकर चित्रकूट को अपनी कर्मभूमि बनाया। विश्वविद्यालय के कुलगुरू प्रो0 भरत मिश्रा ने स्वागत उद्बोधन और प्रगति प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। कुलगुरू ने उपाधि धारकों को दीक्षांत शपथ भी दिलाई।
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