नई दिल्ली (मध्य स्वर्णिम): सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश और राजस्थान में कथित रूप से जहरीली खांसी की सिरप से बच्चों की मौत के मामलों पर सीबीआई जांच और देशभर में दवा सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा की मांग करने वाली जनहित याचिका को खारिज कर दिया। मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई, न्यायमूर्ति उज्जल भूयान और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की पीठ ने वकील विशाल तिवारी द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया। शुरुआत में पीठ नोटिस जारी करने के पक्ष में थी, लेकिन बाद में विचार कर याचिका खारिज कर दी। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता अखबार पढ़कर सीधे अदालत पहुंच जाते हैं। मेहता ने कहा कि वह किसी राज्य की ओर से पेश नहीं हो रहे हैं, लेकिन तमिलनाडु और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों ने इस मामले में गंभीर कदम उठाए हैं, जिन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। उन्होंने यह भी कहा कि राज्यों में दवा कानूनों को लागू करने की उचित व्यवस्था पहले से मौजूद है। पीठ ने याचिकाकर्ता तिवारी से पूछा कि उन्होंने अब तक शीर्ष अदालत में कितनी जनहित याचिकाएं दायर की हैं। तिवारी की ओर से बताया गया कि उन्होंने अब तक आठ से दस ऐसी याचिकाएं दायर की हैं, तो पीठ ने उनकी याचिका खारिज कर दी। याचिका में केंद्र सरकार को निर्देश देने की मांग की गई थी कि वह यह पता लगाए कि दवा सुरक्षा और गुणवत्ता जांच प्रणाली में कौन सी चूक हुई, जिनकी वजह से निम्न गुणवत्ता वाली दवाएं बाजार में पहुंचीं। इसमें अदालत से यह भी आग्रह किया गया है कि आगे किसी भी बिक्री या निर्यात की अनुमति देने से पहले सभी संदिग्ध उत्पादों का एनएबीएल-मान्यता प्राप्त प्रयोगशालाओं के माध्यम से विष विज्ञान परीक्षण अनिवार्य किया जाए।
मध्य प्रदेश में अब तक 23 मौतें: बता दें कि कोल्ड्रिफ कफ सिरप से मध्य प्रदेश में अब तक 23 बच्चों की मौत की पुष्टि की गई है। छिंदवाड़ा में 20, पांढुर्ना में एक तो बैतूल में दो बच्चो की मौत हो चुकी है। सभी में लक्षण एक जैसे थे। हालांकि एक बच्चे के परिजन पोस्टमार्टम के लिए तैयार हुए हैं, जिसके बाद बच्चे का शव कब्र से निकालकर जांच की गई। वहीं राजस्थान में भी तीन बच्चों की मौत इन्हीं कारणो से होना बताया जा रहा है। पहले बच्चों को सर्दी-खांसी हुई तो उन्हें खांसी की दवा दी गई। दो-तीन दिन बाद बच्चों ने यूरिन करना बंद दिया। जांच में उनकी किडनी फेल होने की जानकारी सामने आई। कुछ दिनो के इलाज के बाद बच्चों की लगातार मौत हो रही हैं। देशभर में ये मामला चर्चा में बना हुआ है।