छिंदवाड़ा (मध्य स्वर्णिम): जिले में जहरीले कफ सिरप से मासूमों की मौत का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। बुधवार सुबह चौरई क्षेत्र की तीन साल 6 माह की अंबिका विश्वकर्मा की नागपुर में इलाज के दौरान मौत हो गई। इसके साथ ही प्रदेश में इस कफ सिरप कांड से मरने वाले बच्चों की संख्या बढ़कर 26 हो गई है। वहीं, अभी भी दो बच्चे नागपुर के अस्पतालों में जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष कर रहे हैं। जानकारी के मुताबिक, चौरई तहसील के ग्राम ककई बिल्वा निवासी अंबिका विश्वकर्मा की तबीयत सितंबर की शुरुआत में बिगड़ी थी। स्थानीय स्तर पर इलाज से जब कोई सुधार नहीं हुआ, तो परिजन उसे 14 सितंबर को नागपुर लेकर गए। वहां डॉक्टरों ने जांच के दौरान किडनी फेल होने की पुष्टि की थी। करीब एक महीने तक चला उपचार बुधवार सुबह थम गया, जब अंबिका ने अंतिम सांस ली। लगातार बढ़ती मौतों से छिंदवाड़ा, परासिया और चौरई क्षेत्रों में हड़कंप मचा हुआ है। जिन घरों में बच्चों की हंसी गूंजती थी, वहां अब सन्नाटा पसरा है। परिजनों का कहना है कि सिरप डॉक्टर की पर्ची से खरीदा गया था, लेकिन अब उन्हें समझ नहीं आ रहा कि भरोसा किस पर करें। स्वास्थ्य विभाग और पुलिस की संयुक्त टीम जांच में जुटी है, लेकिन अब तक यह साफ नहीं हो सका है कि सिरप का जहर कहां से और कैसे पहुंचा। फूड एंड ड्रग विभाग ने कोल्ड्रिफ ब्रांड की दवा पर प्रतिबंध लगाते हुए नमूने जांच के लिए भेजे हैं।