इंदौर: शहर में मतदाताओं के वेरिफिकेशन का काम तेज हो गया है। बीएलओ (बूथ लेवल ऑफिसर) द्वारा घर-घर जाकर मतदाताओं का नए सिरे से रजिस्ट्रेशन और सत्यापन किया जा रहा है। इस प्रक्रिया की विशेष बात यह है कि जिन मतदाताओं का नाम पहले से मतदाता सूची में शामिल है, उन्हें भी स्वयं को वेरिफाई कराना अनिवार्य होगा। इंदौर की लगभग 45 लाख की आबादी में से मतदाता सूची में दर्ज 28 लाख 67,294 मतदाताओं का सत्यापन किया जाएगा। निर्वाचन आयोग की गाइडलाइन के अनुसार, इस बार मतदाता सूची को आधार कार्ड से लिंक करने की कवायद पूरी तरह स्वैच्छिक होगी। इसका मतलब है कि किसी भी मतदाता पर सूची को आधार से लिंक कराने के लिए कोई दबाव नहीं रहेगा। यह मतदाता की अपनी इच्छा पर निर्भर करेगा। मतदाताओं के वेरिफिकेशन के लिए बीएलओ घर-घर जा रहे हैं। इस काम में मदद के लिए विभिन्न राजनीतिक पार्टियों द्वारा अपने-अपने क्षेत्र में बीएलए (बूथ लेवल एजेंट) भी तैनात किए जाएंगे। ये बीएलए न केवल मतदाता सूची के पुनरीक्षण में सहायता करेंगे, बल्कि ऐसे मजदूर जो दिनभर काम पर होने के कारण घर पर नहीं मिलते हैं, उनके लिए सुबह तड़के (भोर में) घर-घर जाकर जानकारी जुटाने का काम भी करेंगे।
एसआईआर से 50 लाख वोटर्स के नाम काटने की साजिश: उमंग सिंघार
मध्य प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने चुनाव आयोग की विशेष मतदाता सूची पुनरीक्षण प्रक्रिया (स्ढ्ढक्र)पर सवाल उठाते हुए इसे स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन नहीं, बल्कि सेलेक्टिव इंटेंसिव रिमूवल बताया। उन्होंने आरोप लगाया कि आयोग चुनिंदा मतदाताओं के नाम वोटर लिस्ट से हटाने की योजना पर काम कर रहा है। भोपाल में अपने आवास पर प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए सिंघार ने कहा कि बिहार में लाखों मतदाताओं को वोटर लिस्ट से हटा दिया गया, जिनमें बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर शामिल थे। मध्यप्रदेश में भी ऐसा ही होने जा रहा है।




